41 - ज़िन्दगी किसी का इंतजार नहीं करती

गुजरते समय के साथ नए-नए अनुभव मिलते जा रहे थे. कृत्रिम पैर का अनुभव अपने आपमें एकदम नया और अनोखा ही था. खुद से पहले कृत्रिम पैर के बारे में पढ़-सुन रखा था मगर किसी व्यक्ति से मिलने का अवसर न आया था. अब कृत्रिम पैर की विशेषताओं, कमियों से खुद ही साक्षात्कार कर रहे थे. उठने-बैठने, चलने-फिरने को लेकर रोज ही एक अलग सी स्थिति बनती. चलते रहने के अभ्यास से ज्ञान हो रहा था कि कहाँ, किसी सतह पर कैसे और किस तरह का दवाब देना है. चूँकि दाहिने पंजे की तरफ से बहुत ज्यादा सहयोग मिल न रहा था. कहने को वह प्राकृतिक पैर था, हमारी देह से जुड़ा हुआ था मगर पंजे के लगभग संज्ञाशून्य होने के कारण वह बहुत सहयोगी नहीं बन रहा था. इसके उलट लगातार होते तीव्र दर्द के कारण कई बार वह गिराने वाली स्थिति पैदा कर देता था.


कहते हैं न कि ज़िन्दगी किसी का इंतजार नहीं करती, किसी भी परिस्थिति में रुकती भी नहीं, कुछ ऐसा ही हमारे साथ हो रहा था. हम घर पर ठहर कर उस पल का इंतजार नहीं कर सकते थे कि जब दाहिने पंजे का दर्द गायब हो तब हम अपने कामों को करने के लिए बाहर निकलें. यह भली-भांति समझ रहे थे कि समय जिस तेजी से निकल रहा है उसके साथ चलना बहुत आवश्यक है. ये और बात है कि अब लोगों के साथ दौड़ा नहीं जा सकता है मगर अपने कार्यों से, आत्मविश्वास से समय के साथ तो दौड़ लगाई ही जा सकती है.


भागदौड़ की समस्या बनी हुई थी मगर ये सभी मित्रों का, परिजनों का साथ बना हुआ था कि एक पल को यह नहीं लगा कि हम चलने में असमर्थ हैं. छोटी सी दूरी रही हो या फिर कोई लम्बी यात्रा कोई न कोई मित्र, कोई न कोई पारिवारिक सदस्य सारथी बनकर सामने आया. महसूस होता है कि महाभारत के युद्ध में कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्ण ने अर्जुन के लिए जिस तरह से सारथी की जिम्मेवारी सँभाल उनकी कठिन राहों को आसान किया था, कुछ ऐसा काम हमारे शुभेच्छुजन कर रहे थे. ऐसे ही सारथियों के कारण हम सहजता से ज़िन्दगी की दौड़ में, सामाजिक कार्यों की दौड़ में बढ़ते चले जा रहे थे.




दुर्घटना के पहले की हमारी सक्रियता लगभग अपने पुराने रंग में ही लौट आई थी. जो लोग वाकई दिल से हमसे जुड़े हुए थे उनके चेहरे पर चमकती प्रसन्नता स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ती थी. इसके अलावा समाज में ऐसे लोग भी होते हैं जो दिखावे के लिए ही आपके साथ जुड़े होते हैं, ये लोग आपके दुखों में प्रसन्न होते हैं, आपके सुख से दुखी होते हैं. हम भी समाज से बाहर के नहीं थे और उस समाज में हमारे साथ भी ऐसे लोग थे. ऐसे लोग हमारे चेहरे की हँसी, सामाजिक जीवन की सक्रियता देखकर सहज नहीं रह पा रहे थे. अक्सर ऐसे लोगों का सवाल होता कि इतने कष्ट, इतनी बड़ी दुर्घटना के बाद भी ऐसी सक्रियता, ऐसी सहजता कैसे बनी रहती है?


ऐसे लोगों को बस एक ही जवाब दिया जाता कि ये समस्या अब ज़िन्दगी भर की है. यदि हमारे रोते रहने से, दुखी रहने से हमारी शारीरिक क्षति दूर हो जाये तो हम अपने समस्त परिजनों, सभी दोस्तों, सभी शुभेच्छुजनों को एकसाथ बैठाकर दुखी हों, रोते रहें. हो सकता है ऐसा करने से हमारा कटा हुआ पैर, पंजा फिर सही हो जाए. ऐसे जवाबों को सुनने के लोग आदी नहीं होते हैं. ऐसे लोग आपके कष्टों को ही सुनना चाहते हैं, आपको रोते देखना चाहते हैं.


अपने आपको मजबूत करने, लगातार सक्रिय रखने के उन्हीं दिनों में एक समाचार-पत्र के सदस्य ने हमसे बातचीत करने, साक्षात्कार प्रकाशित करने की इच्छा प्रकट की. निश्चित कर ली गई एक मुलाकात में कई सारे सवालों के बीच उनका सवाल आया कि दुर्घटना के बाद आप कहीं इसलिए तो सक्रिय नहीं हैं जिससे आप अपने परिजनों को, अपने मित्रों को ये दिखा सकें कि आपको कष्ट नहीं है? खुद आप अपने आपको कष्ट से मुक्त होने का धोखा देने के लिए तो लगातार सक्रिय नहीं रह रहे? एक पल की देरी के सबसे पहले जो विचार मन में उभरा वही उनको सुना दिया कि दुर्घटना के पहले की हमारी सक्रियता किस कष्ट को छिपाने, भुलाने के लिए थी?


वे पत्रकार महोदय ख़ामोशी से बस मुस्कुरा दिए. उस दिन उछले सवाल के बाद कई बार सोचते हैं कि क्या वाकई कष्ट को लगातार सक्रिय रहकर भुलाया जा सकता है? क्या ऐसा दर्द जो एक पल को भी आपसे दूर न गया हो, उसे छिपाया जा सकता है? ऐसी शारीरिक स्थिति जो प्रतिपल आपको किसी कमी से परिचित करवाती हो क्या उसे खुद से, परिजनों से, मित्रों से दूर रखा जा सकता है?


फिलहाल तो इस तरफ दिमाग न लगाते हुए हम लगातार अपने काम में लगे रहे. उसी में एक कोशिश कार चलाने की भी हुई और सफल भी रही. विश्वास के साथ सधे हाथों से दौड़ती कार के साथ हम भी लगातार दौड़ लगाते रहे.


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ज़िन्दगी ज़िन्दाबाद @ कुमारेन्द्र किशोरीमहेन्द्र

6 comments:

  1. Dear Kumar, you are a real brave heart...so far we have been listening stories about them...your strong willpower & true understanding about surroundings has really given you additional edge , your all friends and welwishers would always like to see you smiling always ....heartiest wishes

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  2. जीवन को इतने सकारात्मकता से लेना बहुत कठिन है, परन्तु आप सफल रहे।

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  3. जिंदगी जिन्दादिली का नाम है....इसे जीवन में अपनाया आपने.........सराहनीय

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  4. जिंदगी जिंदादिली का नाम है......इसे जीवन में अपनाया आपने.......सराहनीय

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  5. आपकी बहादुरी को सलाम 🙏

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  6. जो खुद से लड़ सके और जीत जाए उसे दूसरे गिरा नहीं सकते।

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