जीवन
में अनिश्चितता न हो तो व्यक्ति होश संभालते ही पागलपन का शिकार हो जाये. आने वाले
पल की स्थिति से अनभिज्ञ व्यक्ति आत्मविश्वास, आत्मबल के द्वारा अपनी जीवन-यात्रा
को पूरा करता रहता है. इस अनिश्चित जीवन में पल-पल वह ज़िन्दगी को बदलते देखता है,
उसके कई-कई रंग देखता है. ज़िन्दगी का पल-पल रंग बदलना, एक-एक पल में सैकड़ों
कहानियों का समावेश करना, उनको देख-समझ पाना आसान नहीं होता है. बहुत बार ऐसा होता
है कि सहजता से आगे चलती जीवन-यात्रा अचानक से यू-टर्न ले लेती है. किसी और मंजिल
को बढ़ रहे होते हैं पर किसी दूसरी पर पहुँच जाते हैं.
उस
दिन हमारी ज़िन्दगी का वो यू-टर्न तो नहीं था; हाँ एक अवरोध जैसा अवश्य था; एक
डायवर्जन जैसा अवश्य था. सड़क पर निर्माण कार्य के दौरान लगे पथ-प्रदर्शकों की भाषा
रास्ता इधर से है की तरह ही उस दुर्घटना ने हमारी जीवन-यात्रा का रास्ता
कुछ परिवर्तित सा कर दिया. उस एक पल ने जीवन के बहुत से रंग दिखा दिए. हर पल में
सैकड़ों कहानियाँ सुनाने वाली ज़िन्दगी ने उस एक पल में सैकड़ों कहानियाँ दिखा दीं. अनिश्चितता
भरी ज़िन्दगी में अनिश्चितता ही अनिश्चितता भर दी.
एक
पल में ज़िन्दगी ने अनेक रंग भले ही दिखाए हों. एक पल में भले ही हजारों रंग भरे
रहते हों पर उस समय हमारे पल में सिर्फ लाल रंग भरा था जो काले रंग के आवरण में हमें
ढाँकने को लगातार फैलता जा रहा था. कहानियों भरे पल के साए में वो पल किसी कहानी
का हिस्सा नहीं बल्कि खुद कहानी जैसा हो गया था.
कहानी
ढलते दिन में खुद को समेटने की. कहानी उखड़ती साँसों को एकत्र कर एक और साँस भरने
की. कहानी असहनीय दर्द के बीच हँसने-मुस्कुराने की. कहानी काँपते हाथों को कांपती
हथेलियों के बीच थामकर सांत्वना देने की. कहानी पल-पल अपनी तरफ बढ़ती मौत को हर पल
दूर भगाने की. कहानी गिर कर फिर सँभलने की. कहानी लड़खड़ाते क़दमों को मंजिल तक
पहुँचाने की. कहानी खुद को एक बार फिर साबित कर पाने की. कहानी अनेक आँखों में
उभरे सवालों का जवाब बन जाने की. कहानी ज़िन्दगी को ज़िन्दगी बनाने की. कहानी
अनिश्चय की धुंध के बीच ज़िन्दादिली की रौशनी भरने की. कहानी ज़िन्दगी को ज़िन्दाबाद
कहे जाने की. कहानी न होकर भी खुद एक कहानी बन जाने की.
रोज
की तरह उस दिन भी सबकुछ सामान्य सा था. कहीं कुछ अलग सा नहीं, कहीं कुछ बदलाव सा
नहीं. उसी साधारण से पलों के बीच अपने साथ सबकुछ उड़ा लेने की नीयत से अचानक कहीं
से एक तूफ़ान उठा. जब बवंडर थमा तो बहुत कुछ ख़तम होने जैसा एहसास जगा. उस एहसास के
बीच सबकुछ बनाये रखने की जीवटता ने, जिजीविषा ने कुछ भी ख़तम न होने दिया. आकाशीय
बिजली की तरह कौंध दिखाकर, सपने की तरह नींद में चौंका कर वह पल गुजर गया. बार-बार
उस घटना को महज सपना समझने का एहसास करने की काल्पनिकता के बीच आभास करना ही पड़ा
कि वह एक सपना नहीं, कोई काल्पनिकता नहीं वरन एक डरावनी हकीकत है, भयावह
वास्तविकता है.
अंततः
उस वास्तविकता को, उस विभीषिका को, उस दुर्घटना को स्वीकारते हुए जीवन-यात्रा नए
सिरे से फिर आरम्भ कर दी गई. नए सिरे से
इसलिए क्योंकि उस एक पल ने बहुत पीछे ले जाकर खड़ा कर दिया था. बैठना, खड़े होना,
चलना, काम करना, लिखना आदि-आदि नए सिरे से सीखा जाने लगा. इस अभ्यास में कई-कई बार
बिखरना होता फिर अगले पल आत्मविश्वास, आत्मबल के मिले-जुले मिश्रण के साथ खुद को
जोड़ने का काम भी आरम्भ होता.
उस
दिन से शुरू हुआ बिखरना-सहेजना, टूटना-जुड़ना, रोना-हँसना, गिरना-उठना,
बिगड़ना-बनना, हारना-जीतना आज भी बना हुआ है. ये सब ज़िन्दगी के रंग हैं. ये सब
ज़िन्दगी की कहानियाँ हैं. इनके साथ उल्लासित रहना है. इनके साथ रंगीन रहना है.
हतोत्साहित नहीं होना है. विश्वास को कमजोर नहीं पड़ने देना है. आखिर ज़िन्दगी अपनी
है मगर सिर्फ अपने लिए नहीं है. ज़िन्दगी सिर्फ डराती नहीं वरन सिखाती भी है. वह
सिर्फ कष्ट ही नहीं देती वरन मंजिल तक पहुँचाती भी है. बस... ज़िन्दगी ज़िन्दाबाद
का जयघोष करते हुए आगे बढ़ना है. एक और नई मंजिल की खोज करना है. उस मंजिल के आगे
भी बढ़ना है.
कभी हसरत थी आसमां छूने की,
अब तमन्ना है आसमां पार जाने की.
ज़िन्दगी ज़िन्दाबाद
.ज़िन्दगी ज़िन्दाबाद @ कुमारेन्द्र किशोरीमहेन्द्र
बेहद दुखद. आपकी हिम्मत को नमन!
ReplyDeleteआभार आपका.
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